samas kise kahate hain : इस लेख में समास किसे कहते हैं, समास की परिभाषा (Samas ki paribhasha) समास के भेद (Samas ke bhed) समास के उदाहरण (samas ke udaharan) के बारे में जानेंगे। यदि आप परीक्षा की तैयारी कर रहें हैं तो आपको समास क्या है जानना जरूरी हैं इसीलिए अंत तक पढ़ें।
समास किसे कहते हैं | samas kise kahate hain
समास की परिभाषा : दो या दो से अधिक पदों के साथ प्रयुक्त विभक्ति चिह्नों या योजक पदों या अव्यय पदों का लोप करके बनाया गए नए पद को समस्त पद या सामासिक पद कहते हैं। आसान भाषा में हम कह सकते हैं कि समास प्रक्रिया से बनने वाले पद को सामासिक पद कहते हैं।
जब आपस में संबंध रखने वाले दो या फिर दो से ज्यादा शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाया जाता हैं तो उस मेल को समास कहते हैं. इस प्रक्रिया में उन दो शब्दों में से विभक्ति को हटाना होता हैं. आसान भाषा में कहे तो समास की प्रक्रिया में दो या दो से अधिक शब्दों का संक्षिप्तिकरण करते हैं.
हम समास के जरिये कम शब्दों को मिलाकर एक बड़ा अर्थ (Meaning) प्रगट कर सकते हैं. समास शब्द दो अलग शब्द “सम्” और “आस” से मिलकर बना हैं. जिसमे, सम् का अर्थ “पूर्ण रूप से” होता हैं और “आस” का अर्थ “शब्द” होता हैं.
समास में दो पद होते हैं, पूर्वपद और उत्तरपद. समास के नियमो से निर्मित शब्द को सामासिक शब्द कहते हैं, इसे समस्तपद भी कहते हैं.
समास के उदाहरण (samas ke udaharan)
- महान है जिसकी आत्मा – महात्मा
- चक्र है पाणि में जिसके वह – चक्रपाणि
- रेल पर चलने वाली गाड़ी – रेलगाड़ी
- हस्त से लिखित – हस्तलिखित
- माल को ढोने वाली गाड़ी – मालगाड़ी
- देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
- घोड़ों के लिए साल (भवन) = घुड़साल
ऊपर दिए गए गए समास के उदाहरण को देख कर आप समज गए होंगे की कैसे दो या दो से अधिक शब्दों को मिलकर हम एक नया शब्द बना सकते हैं. और इसे ही हम हिंदी व्याकरण में समास कहते हैं. तो अब आपको पता चल गया होगा की समास किसे कहते हैं और समास की परिभाषा क्या है।
समास-विग्रह किसे कहते हैं (samas vigrah in hindi)
किसी सामासिक पद को उसके सभी विभक्ति चिह्नों या योजक पदों या अव्यय पदों या परस्पर संबंध रखने वाले पदों के साथ लिखने को समास-विग्रह कहते हैं। समास-विग्रह करते समय मूल पद का ही प्रयोग करना चाहिए, न की मूल पद के किसी पर्यायवाची पद का। रेलगाड़ी एक सामासिक पद है। इस सामासिक पद का समास-विग्रह रेल पर चलने वाली गाड़ी होगा।
समास-विग्रह के उदाहरण (samas vigrah ke udaharan)
- हस्तलिखित = हस्त से लिखित
- वनवास = वन में वास
- रसोईघर = रसोई के लिए घर
- गोशाला = गायों के लिए शाला
- देवालय = देवता के लिए आलय
- रणभूमि = रण के लिए भूमि
समास के भेद (Samas Ke Bhed)
समास की प्रक्रिया में दो पदों का योग होता है। इन दोनों पदों के योग से बनने वाले सामासिक पद में किसी एक पद का अर्थ प्रमुख होता है। अर्थ की इसी प्रधानता के आधार पर समास के भेद किए गए हैं। अतः पदों की प्रधानता के आधार पर समास के चार भेद होते हैं।
- अव्ययीभाव समास (प्रथम पद के अर्थ की प्रधानता)
- द्वन्द्व समास (दोनों पदों के अर्थ की प्रधानता)
- बहुव्रीहि समास (दोनों पदों के अर्थ की अप्रधानता)
- तत्पुरुष समास (द्वितीय पद के अर्थ की प्रधानता)
अव्ययीभाव समास की परिभाषा (Avyayibhav Samas kise kahate hain)
जिस समास में प्रथम पद या पूर्व पद प्रधान हो तथा समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) कहते हैं। यदि किसी सामासिक पद में प्रथम पद उपसर्ग या अव्यय पद हो तो उसे भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है। किसी सामासिक पद में संज्ञा या अव्यय पद की पुनरावृत्ति होने पर भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है।
अव्ययीभाव समास के प्रकार (Avyayibhav Samas Ke Prakar)
अव्ययीभाव समास के दो प्रकार होते हैं-
- अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास
- नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण (Avyayibhav Samas Ke Udaharan)
- अर्थ के अनुसार – यथार्थ
- शक्ति के अनुसार – यथाशक्ति
- हाथ ही हाथ में – हाथों-हाथ
- रात ही रात में – रातों-रात
- बेलगाम – लगाम के बिना
- विवाह के उपरांत – विवाहोपरांत
- विवाह से इतर – विवाहेतर
- आकंठ = कंठ तक
- आमरण = मरण तक
- घर-घर = घर ही घर
- रातोंरात = रात ही रात
- धड़ाधड़ = धड़ ही धड़
- बेईमान = ईमान के बिना / ईमान से रहित
- लापरवाह = परवाह के बिना / परवाह से रहित
अव्ययीभाव समास की विस्तृत जानकारी
द्वंद्व समास की परिभाषा (Dvandva Samas Kise Kahate Hain)
जिस समास में दोनों पद प्रधान एवं एक दूसरे के विलोम या विलोम जैसे हों तो उसे द्वंद्व समास कहते हैं। इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं, अर्थात प्रथम एवं द्वितीय पद दोनों पदों के अर्थ महत्वपूर्ण होते हैं.
द्वन्द्व समास के प्रकार (Dvandva Samas ke Prakar)
द्वंद्व समास के तीन प्रकार होते हैं- इतरेतर द्वन्द्व समास, समाहार द्वन्द्व समास और विकल्प द्वन्द्व समास।
- इतरेतर द्वंद्व समास (Itretar Dvandva Samas)
- विकल्प द्वंद्व समास (Samahar Dvandva Samas)
- समाहार द्वंद्व समास (Vikalp Dvandva Samas)
द्वन्द्व समास के उदाहरण (Dvandva Samas ke udaharan)
- माता-पिता = माता और पिता
- दूध-रोटी = दूध और रोटी
- जला-भूना = जला और भूना
- आकाश-पाताल = आकाश और पाताल
- जीवन-मरण = जीवन या मरण
- शीतोष्ण = शीत या उष्ण
- भला-बुरा = भला या बुरा
- हाथ-पैर = हाथ, पैर आदि
- कपड़ा-लत्ता = कपड़ा, लत्ता आदि
- बाल-बच्चे = बाल, बच्चे आदि.
- अन्न-जल = अन्न और जल
- दाल-रोटी = दाल और रोटी
- अपना-पराया = अपना या पराया
बहुब्रीहि समास की परिभाषा (Bahuvrihi Samas Kise Kahate Hain)
जिस समास में दोनों ही पद अप्रधान हों तथा अन्य अर्थ की प्रधानता हो तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। यह उभय पद अप्रधान समास होता है। योगरूढ़ शब्द इसी समास में आते हैं। इस समास के पदों का समास-विग्रह करते समय जो/जिसका/जिसकी/जिसके शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas Ke Udaharan)
- वीणापाणि = वीणा है पाणि में जिसके वह – सरस्वती
- चक्रपाणि = चक्र है पाणि में जिसके वह – विष्णु
- शूलपाणि = शूल है पाणि में जिसके वह – शिव
- रमेश = रमा का है ईश जो वह – विष्णु
- कमलेश = कमला का है ईश जो वह – विष्णु
- उमेश = उमा का है ईश जो वह – शिव
- चित्रेश = चित्रा का है ईश जो वह – अर्जुन
तत्पुरुष समास की परिभाषा (Tatpurush Samas Kise Kahate Hain)
जिस समास में द्वितीय पद या उत्तर पद प्रधान हो तथा दोनों पदों के मध्य कारक विभक्ति का लोप हो तो उसे तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) कहते हैं। इस समास में प्रथम एवं द्वितीय पद के मध्य कारक चिन्हों का लोप होता है और जब सामासिक पद का समास-विग्रह किया जाता है, तो कर्ता कारक एवं सम्बोधन कारक को छोड़कर शेष कारकों के कारक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
तत्पुरुष समास के उदाहरण (Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- गंगाजल – गंगा का जल (संबंध तत्पुरुष समास)
- रेखांकित – रेखा के द्वारा अंकित (करण तत्पुरुष समास)
- रोगमुक्त – रोग से मुक्त (अपादान तत्पुरुष समास)
- चर्मकार – चर्म का कार करने वाला
- स्वर्णकार – स्वर्ण का कार करने वाला
- लाभप्रद – लाभ प्रदान करने वाला
- मर्मज्ञ – मर्म को जानने वाला
- उत्तरदायी – उत्तर देने वाला
- वनेचर – वन में विचरण करने वाला
- कविराज = कवियों में राजा
- सिरदर्द = सिर में दर्द
- आपबीती = अपने पर बीती हुई
तत्पुरुष समास के प्रकार (Tatpurush Samas Ke Prakar)
हिंदी में तत्पुरुष समास के छः प्रकार होते हैं-
- कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
- द्विगु समास (Dvigu Samas)
- लुप्तपद तत्पुरुष समास (LuptPad Tatpurush Samas)
- उपपद तत्पुरुष समास (Uppad Tatpurush Samas)
- अलुक् तत्पुरुष समास (Aluk Tatpurush Samas)
- नञ् तत्पुरुष समास (Nay Tatpurush Samas)
कर्मधारय समास की परिभाषा (Karmadharaya Samas Ki Paribhasha)
जिस समास में विशेषण व विशेष्य या उपमेय व उपमान का संयोग हो उसे कर्मधारय समास कहते हैं। कर्मधारय समास में द्वितीय पद प्रधान होता है, इसलिए इसे तत्पुरुष समास का ही एक उपभेद माना जाता है। कर्मधारय समास को समानाधिकरण समास के नाम से भी जाना जाता है। कर्मधारय समास में प्रयुक्त विशेषण असंख्यावाची विशेषण होता है।
यदि किसी समस्त पद में विशेषण पदों की पुनरावृत्ति हो तो कर्मधारय समास होता है।
यदि किसी समस्त पद में प्रयुक्त उपसर्ग विशेषण की तरह प्रयुक्त किया गया हो तो वहां कर्मधारय समास होगा।
कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmadharaya Samas Ke Udaharan)
- वीरबाला – वीर है जो बाला
- महाकवि – महान है जो कवि
- महात्मा – महान है जो आत्मा
- महासागर – महान है जो सागर
- नीलकमल – नीला है जो कमल
- नीलोत्पल – नीला है जो उत्पल
- परमात्मा – परम है जो आत्मा
- कृष्णसर्प – कृष्ण है जो सर्प
- महेश्वर – महान है जो ईश्वर
- मुखकमल – कमल के समान है जो मुख
- घनश्याम – घन के समान है जो श्याम
- कापुरूष – कायर है जो पुरुष
द्विगु समास की परिभाषा (Dvigu Samas Kise Kahte Hain)
वह समास जिसमें प्रथम या पूर्व पद संख्यावाचक विशेषण हो व द्वितीय पद संज्ञा हो तथा समस्त पद से समूह या समाहार का बोध होता हो उसे द्विगु समास कहते हैं। द्विगु समास का समास-विग्रह करते समय दोनों पदों को लिख कर अन्त में ‘का समूह या का समाहार’ लिखते हैं। द्विगु शब्द अपने आप में द्विगु समास का ही उदाहरण है।
द्विगु समास के उदाहरण (Dvigu Samas Ke Udaharan)
- दोपहर – दो पहरों का समाहार
- पंचतंत्र – पांच तंत्रों का समाहार
- द्विगु – दो गायों का समाहार
- चवन्नी – चार आन्नो का समाहार
- अठन्नी – आठ आन्नो का समाहार
- पंचामृत – पांच अमृतों का समाहार
- तिराहा – तीन राहों का समाहार
- नवरात्र – नौ रात्रियों का समाहार
- त्रिरात्र – तीन रात्रियों का समाहार
- सप्ताह – सप्त अह्नों का समूह
- त्रिफला – तीन फलों का समाहार
- एकांकी – एक ही अंक का
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निष्कर्ष :- हम आशा करते हैं की समास किसे कहते हैं आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा. आपने यहाँ पर जाना समास की परिभाषा क्या हैं, समास के भेद, समास कितने प्रकार के होते हैं और समास के उदाहरण आदि। अब इसे अपने दोस्तों में भी शेयर करें। धन्यवाद।।