वाक्य किसे कहते हैं – परिभाषा, भेद एवं उदहारण | Vakya Kise Kahate Hain

वाक्य की परिभाषा, भेद एवं उदहारण | Vakya Kise Kahate Hain

Vakya Kise Kahate Hain : इस लेख में आप जानेंगे हिंदी व्याकरण का महत्वपूर्ण टॉपिक वाक्य किसे कहते हैं? वाक्य के कितने भेद होते हैं? वाक्य की परिभाषा, कर्तृ वाच्य किसे कहते हैं (Kartri Vachya Kise Kahate Hain) तथा कर्तृ वाच्य के उदाहरण (Kartri Vachya Ke Udaharan) कर्म वाच्य किसे कहते हैं (Karam Vachya Kise Kahate Hain) तथा कर्म वाच्य के उदाहरण (Karam Vachya Ke Udaharan) भाव वाच्य किसे कहते हैं (Bhaav Vachya Kise Kahate Hain) तथा भाव वाच्य के उदाहरण (Bhaav Vachya Ke Udaharan)। इसे याद रखने के लिये अंत तक एक नज़र जरूर देखें आपकी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

Table of Contents

वाक्य किसे कहते हैं (Vakya Kise Kahate Hain)

शब्दों का वह सार्थक समूह जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो उसे वाक्य कहते हैं। भाषा व व्याकरण का सबसे बड़ा अंग वाक्य होता है। भाव/भावार्थ के आधार पर भाषा की सबसे बड़ी एवं सबसे छोटी इकाई वाक्य होता है, क्योंकि भाव/भावार्थ के आधार पर भाषा का सिर्फ़ एक ही अंग होता है, जो कि वाक्य होता है। वाक्य के दो अवयव होते हैं- उद्देश्य एवं विधेय

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उद्देश्य – किसी वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के संबंध में कहा जाता है, उस व्यक्ति या वस्तु को दर्शाने वाले शब्दों को उद्देश्य कहते हैं। किसी वाक्य में कर्ता ही उद्देश्य होता है। कर्ता के विशेषण एवं कर्ता विस्तारक को भी उद्देश्य में ही शामिल किया जाता है।

उद्देश्य के उदाहरण:- 

राम ने रावण को मारा।

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रवि दौड़ रहा है।

आत्मा अमर है।

उपरोक्त तीनों वाक्यों में ‘राम ने’, ‘रवि’ और ‘आत्मा’ उद्देश्य हैं, क्योंकि वाक्यों में इनके विषय में कुछ न कुछ कहा गया है।

विधेय – उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे दर्शाने वाले शब्दों को विधेय कहते हैं। किसी वाक्य में प्रस्तुत क्रिया, क्रिया का विस्तारक, कर्म, कर्म का विस्तारक, पूरक तथा पूरक का विस्तारक विधेय के अंतर्गत आते हैं।

विधेय के उदाहरण:-

राम ने रावण को मारा।

रवि दौड़ रहा है।

आत्मा अमर है।

वाक्य के भेद (Vakya ke bhed in Hindi)

संरचना के आधार पर वाक्य के भेद

संरचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं।

  1. साधारण वाक्य
  2. संयुक्त वाक्य
  3. मिश्रित वाक्य

साधारण वाक्य किसे कहते हैं (sadharan vakya kise kahate hain)

जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय हो उसे साधारण वाक्य कहते हैं। यदि किसी वाक्य में एक से अधिक कर्ता हों तथा उनकी क्रिया भी समान हो तो उस वाक्य को साधारण या सरल वाक्य ही माना जाता है, क्योंकि समान क्रिया वाले समस्त कर्ता एक ही उद्देश्य को दर्शाते हैं।

साधारण वाक्य के उदाहरण (Sadharan Vakya Ke Udaharan)

रवि पुस्तक पढ़ता है।

रमेश एवं सुरेश भोजन करते हैं।

मेहनत करने वाला विद्यार्थी ही सफल होता है।

घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।

सीता खाना बना रही है।

यदि किसी वाक्य में एक कर्ता हो एवं उसकी क्रियाएं एक से अधिक हों तो समस्त क्रियाओं को एक ही विधेय माना जाता है, अर्थात एक कर्ता की एक से अधिक क्रियाएं होने पर भी वाक्य साधारण वाक्य होगा।

उदाहरण:-

रवि पढ़ एवं लिख रहा है।

यदि किसी वाक्य में एक से अधिक कर्ता हों तथा समस्त कर्ताओं की क्रियाएं एक से अधिक एवं समान हों तो वाक्य को साधारण वाक्य ही माना जाता है, क्योंकि समान क्रियाएं करने वाले समस्त कर्ताओं को एक उद्देश्य तथा समान कर्ताओं वाली समस्त क्रियाओं को एक विधेय माना जाता है।

उदाहरण:-

महेश रमेश व सुरेश पढ़ एवं लिख रहे हैं।

संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं (Sanyukt vakya kise kahate hain)

वह वाक्य जो दो या दो से अधिक स्वतंत्र साधारण वाक्यों या प्रधान उपवाक्यों के मेल से बना हो उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य में प्रयुक्त सभी उपवाक्य स्वतंत्र होते हैं, अर्थात किसी भी उपवाक्य को हटा देने से शेष वाक्यों के अर्थ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

संयुक्त वाक्य में प्रयुक्त सभी वाक्य संयोजक शब्दों (किंतु, परंतु, लेकिन, तथा, या, एवं, अथवा, और, बल्कि, अतः) से जुड़े हुए रहते हैं, लेकिन यह कोई आवश्यक शर्त नहीं है, क्योंकि बिना संयोजक शब्दों के भी संयुक्त वाक्य हो सकता है।

संयुक्त वाक्य के उदाहरण (Sanyukt vakya Ke Udaharan)

रवि पुस्तक पढ़ रहा है, विवेक चाय बना रहा है।

सीता बीमार है इसलिए आज ऑफिस नहीं आई है।

मैं घर से निकला ही था कि शंकर मिल गया और हम खेलने चले गए।

मिश्रित वाक्य किसे कहते हैं | Mishrit Vakya Kise Kahate Hain

जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। यदि मिश्र वाक्य के सभी उपवाक्य योजक शब्दों से प्रारंभ हों तो वाक्य का अंतिम उपवाक्य प्रधान उपवाक्य तथा शेष सभी उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होते हैं।

मुहावरे एवं लोकोक्तियां मिश्र वाक्य होती हैं। मिश्रित वाक्य में जब-तब, जैसा-वैसा, कि, जितना-उतना, जिसकी-उसकी, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, जो-सो/वह आदि योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

मिश्रित वाक्य के उदाहरण | Mishrit Vakya Ke Udaharan

गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो।

रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

यदि तुम भी मेहनत करोगे तो निश्चित ही सफल हो जाओगे।

जो विद्यार्थी मेहनत करता है, वह सफल होता है।

मिश्र वाक्य की परिभाषा, उदाहरण एवं वाक्य परिवर्तन

प्रधान उपवाक्य किसे कहते हैं

वह उपवाक्य जो प्रधान या मुख्य उद्देश्य तथा मुख्य विधेय से मिलकर बना हो उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं। प्रधान उपवाक्य एक प्रकार का साधारण वाक्य होता है। मिश्र वाक्य में सभी आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर आश्रित रहते हैं, अर्थात स्वतंत्र नहीं होते है।

प्रधान उपवाक्य के उदाहरण

गांधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो।

रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

उपरोक्त तीनों उदाहरणों में ‘गांधी जी ने कहा’, ‘रवि ने कहा’ तथा ‘उसकी भैंस’ प्रधान उपवाक्य हैं।

 

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आश्रित उपवाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जो प्रधान उपवाक्य पर आश्रित रहता है उसे आश्रित उपवाक्य कहते हैं। आश्रित उपवाक्य का आरंभ योजक शब्द से होता है। आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैं।

आश्रित उपवाक्य के उदाहरण

गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो।

रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।

जिसकी लाठी उसकी भैंस।

उपरोक्त तीनों उदाहरणों में ‘कि सदा सत्य बोलो’, ‘हिंसा मत करो’, ‘कि वह मुंबई जा रहा है’, ‘जिसकी लाठी’ आश्रित उपवाक्य हैं।

संज्ञा आश्रित उपवाक्य – प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले आश्रित उपवाक्य को संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। किसी वाक्य में संज्ञा उपवाक्य का प्रारंभ प्रायः ‘कि’ से होता है।

उदाहरण:-

गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो। इस वाक्य में ‘की सदा सत्य बोलो’ संज्ञा आश्रित उपवाक्य है।

विशेषण उपवाक्य – प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाने वाले आश्रित उपवाक्य को विशेषण उपवाक्य कहते हैं। किसी वाक्य में विशेषण उपवाक्य का आरंभ प्रायः जिसका, जिसकी, जो, जिसके आदि में से किसी एक शब्द से होता है।

उदाहरण:-

जो विद्वान होते हैं, उनका सभी आदर करते हैं।

क्रिया विशेषण उपवाक्य – प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताने वाले आश्रित उपवाक्य को क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते हैं। किसी वाक्य में क्रिया विशेषण उपवाक्य यदि, जहां, जैसे, तब, जब, यद्यपि, क्योंकि आदि में से किसी एक शब्द से प्रारंभ होता है।

उदाहरण:-

यदि मोहन मेहनत करता, तो अवश्य सफ़ल होता।

क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद

वाच्य किसे कहते हैं

क्रिया के आधार पर वाक्य के भेदों को वाच्य नाम दिया गया है। क्रिया के जिस रुप से यह पता चले कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से किस की प्रधानता है, उसे वाच्य कहते हैं।

वाच्य के तीन भेद होते हैं।

  1. कर्तृ वाच्य
  2. कर्म वाच्य
  3. भाव वाच्य

कर्तृ वाच्य किसे कहते हैं (Kartri Vachya Kise Kahate Hain)

जब किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन का निर्धारण वाक्य में प्रयुक्त कर्ता के अनुसार हो तो उसे कर्तृ वाच्य कहते हैं, अर्थात वाक्य में प्रयुक्त कर्ता के लिंग एवं वचन में परिवर्तन करते ही यदि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन में भी परिवर्तन हो जाए तो वह कर्तृ वाच्य होता है। कर्तृ वाच्य में क्रिया सकर्मक एवं अकर्मक हो सकती है।

कर्तृ वाच्य के उदाहरण (Kartri Vachya Ke Udaharan)

राम पुस्तक पढ़ता है। ( पुल्लिंग, एकवचन )

सीता पुस्तक पढ़ती है। ( स्त्रीलिंग, एकवचन )

तुम पुस्तक पढ़ते हो। ( पुल्लिंग, एकवचन )

हम पुस्तक पढ़ते हैं। ( पुल्लिंग, बहुवचन )

उपरोक्त सभी उदाहरणों में हम देख सकते हैं कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन का निर्धारण कर्ता के लिंग एवं वचन के आधार पर हो रहा है। अतः उपरोक्त सभी उदाहरण कर्तृ वाच्य के उदाहरण हैं।

कर्म वाच्य किसे कहते हैं (Karam Vachya Kise Kahate Hain)

जब किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन का निर्धारण वाक्य में प्रयुक्त कर्म के अनुसार हो तो उसे कर्म वाच्य कहते हैं, अर्थात वाक्य में प्रयुक्त कर्म के लिंग एवं वचन में परिवर्तन करते ही यदि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन में भी परिवर्तन हो जाए तो वह कर्म वाच्य होता है। कर्म वाच्य में क्रिया सदैव सकर्मक ही होती है।

कर्म वाच्य के उदाहरण (Karam Vachya Ke Udaharan)

राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है। ( स्त्रीलिंग, एकवचन )

राम के द्वारा पुस्तकें पढ़ी जाती हैं। ( स्त्रीलिंग, बहुवचन )

शंकर के द्वारा हमें हिंदी पढ़ाई जाती है। ( स्त्रीलिंग, एकवचन )

कविता के द्वारा हमें विज्ञान पढ़ाया जाता है। ( पुल्लिंग, एकवचन )

वाक्य किसे कहते हैं – परिभाषा, भेद एवं उदहारण | Vakya Kise Kahate Hain
   वाक्य किसे कहते हैं Vakya Kise Kahate Hain

 

भाव वाच्य किसे कहते हैं (Bhaav Vachya Kise Kahate Hain)

यदि किसी वाक्य में क्रिया के लिंग एवं वचन का परिवर्तन कर्ता एवं कर्म दोनों के ही अनुसार नहीं हो तो उसे भाव वाच्य कहते हैं। भाव वाच्य में क्रिया सदैव अकर्मक क्रिया होती है। क्रिया का वचन एकवचन एवं लिंग सदैव पुल्लिंग होता है।

भाव वाच्य के उदाहरण (Bhaav Vachya Ke Udaharan)

राम से दौड़ा नहीं जाता है।

बच्चे से भागा नहीं गया।

वाच्य से सम्बंधित विशेष नियम:-

यदि किसी वाक्य में कर्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग हुआ हो तथा कर्म विभक्ति रहित हो तो उस वाक्य में क्रिया के लिंग एवं वचन का परिवर्तन तो कर्म के अनुसार ही होगा, लेकिन ऐसे वाक्यों में कर्म वाच्य मानने के बजाय कर्तृ वाच्य ही माना जाता है।

वाच्य के उदाहरण:-

राम ने पुस्तक पढ़ी।

वान्या ने गाना गाया।

तुमने कार खरीदी।

उपरोक्त उदाहरणों में हम देख सकते हैं कि वाक्यों में प्रयुक्त क्रिया के लिंग एवं वचन में परिवर्तन कर्म के आधार पर हो रहा है। अतः उपरोक्त वाक्यों में कर्मवाच्य होना चाहिए, लेकिन उपरोक्त वाक्यों में प्रयुक्त कर्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग होने की वजह से कर्तृ वाच्य होगा।

यदि किसी वाक्य में कर्ता के साथ ‘से’ विभक्ति का प्रयोग हुआ हो एवं वाक्य में सकर्मक क्रिया प्रयुक्त हुई हो तो उसे भाव वाच्य न मानकर कर्मवाच्य ही माना जाता है।

वाच्य के उदाहरण:-

महेश से पुस्तक नहीं पढ़ी जाती है।

शंकर से गाना नहीं गाया गया।

उससे नहीं लिखा गया।

यदि किसी वाक्य में कर्ता उपस्थित नहीं हो अर्थात कर्ता को वाक्य में लिखा ही नहीं गया हो तो ऐसे वाक्य में क्रिया के लिंग एवं वचन का परिवर्तन कर्म के अनुसार होता है। ऐसे वाक्यों में कर्मवाच्य ही माना जाता है।

वाच्य के उदाहरण:-

गाय खो गई।

बैल हो गया।

रावण मारा गया।

दीवार बना ली गई है।

रोगी को दवा दे दी गई है।

अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद होते हैं

  1. विधानार्थक वाक्य
  2. संदेहार्थक वाक्य
  3. निषेधात्मक वाक्य
  4. आज्ञार्थक वाक्य
  5. प्रश्नार्थक वाक्य
  6. संकेतार्थक वाक्य
  7. इच्छार्थक वाक्य
  8. विस्मय बोधक वाक्य
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विधानार्थक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिसमें क्रिया का होना पाया जाए उसे विधानार्थक वाक्य कहते हैं।

विधानार्थक वाक्य के उदाहरण:-

राम पढ़ता है।

मोहन खाना खाता है।

बच्चे खेल रहे हैं।

संदेहार्थक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिससे संदेह के भाव का बोध हो उसे संदेहार्थक वाक्य कहते हैं।

संदेहार्थक वाक्य के उदाहरण:-

शायद कोई आ रहा है।

निषेधात्मक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिससे निषेध या मना करने के भाव का बोध हो उसे निषेधात्मक वाक्य कहते हैं।

निषेधात्मक वाक्य के उदाहरण:

रमेश घर पर नहीं है।

मुझे चाय पसंद नहीं है।

आज्ञार्थक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिससे आज्ञा या आदेश के भाव का बोध हो उसे आज्ञार्थक वाक्य कहते हैं।

आज्ञार्थक वाक्य के उदाहरण:-

दरवाज़ा बंद कर दो।

खिड़की खोल दो।

 

इसे भी पढ़ें... स्मृति का अर्थ एवं परिभाषा

प्रश्नार्थक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिससे प्रश्न पूछे जाने के भाव का बोध हो उसे प्रश्नार्थक वाक्य कहते हैं।

प्रश्नार्थक वाक्य के उदाहरण:-

आपका नाम क्या है?

आप कहां जा रहे हैं?

संकेतार्थक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिससे शर्त के भाव का बोध हो उसे संकेतार्थक वाक्य कहते हैं।

संकेतार्थक वाक्य के उदाहरण:-

यदि तुम पढ़ते तो पास हो जाते।

इच्छार्थक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिससे इच्छा के भाव का बोध हो उसे इच्छार्थक वाक्य कहते हैं। आशीर्वाद, दुआ, गाली, शाप, बद्दुआ आदि भावों का बोध करवाने वाले वाक्य भी इच्छार्थक वाक्य होते हैं।

इच्छार्थक वाक्य के उदाहरण:-

मेरी इच्छा है कि मैं अभिनेता बन जाऊं।

विस्मय बोधक वाक्य किसे कहते हैं

वह वाक्य जिससे आश्चर्य के भाव का बोध हो उसे विस्मय बोधक वाक्य कहते हैं।

विस्मय बोधक वाक्य के उदाहरण:-

वाह! क्या स्वाद है।

अरे आप! कब आए।

निष्कर्ष :- इसमें आपने जाना वाक्य किसे कहते हैं एवं वाक्य की परिभाषा तथा भेद। ऐसी जानकारी के लिये allindiafreetest.com बुकमार्क करें।

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