अलंकार किसे कहते हैं – अलंकार के भेद, परिभाषा और उदाहरण | alankar kise kahate hain | free notes

alankar kise kahate hain : इस लेख में हम आपको अलंकार के बारे में बताने वाले हैं। अलंकार किसे कहते हैं, अलंकार के भेद (Alankar ke bhed) अलंकार की परिभाषा (Alankar ki Paribhasha) अलंकार के प्रकार कितने हैं? अलंकार के उदाहरण एवं अलंकार कैसे पहचाने, इन सभी विषयों को जानने के लिये अंत तक पढ़े। आईये शुरू करते हैं अलंकार किसे कहते हैं (alankar in Hindi grammar)।

अलंकार किसे कहते हैं | alankar kise kahate hain

Alankar kise kahate hain : हिन्दी व्याकरण में अलंकार का प्रयोग हम क्यों करते हैं जानने से पहले इसे समझें कि जिस तरह गहनों और आभूषणों से शरीर की शोभा बढती हैं ठीक उसी तरह अलंकार से किसी काव्य की शोभा बढ़ती हैं. अलंकार हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है।

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Alankar in Hindi grammar

अलंकार की परिभाषा (Alankar ki Paribhasha) : काव्य में जिन तत्वों से, जिन शैलियो से वाक्य की शोभा बढती हैं उन्हें अलंकर कहते हैं. आसान शब्दों कहे तो काव्य की सुंदरता बढ़ने वाले साधन को ही अलंकार कहते हैं. जिस तरह जब कोई स्त्री आभूषणों को पहनती हैं तो उनकी सुंदरता बढ़ जाती हैं ठीक उसी तरह वाक्य को अलंकर के जरिये सुंदर बनाया जाता हैं.

‘आलम’ और ‘कार’ इन दो शब्दों से मिलकर ‘अलंकार‘ शब्द बनता हैं. अलंकार का अर्थ आभूषण होता हैं. भाषा को सुंदर रूप से प्रस्तुत करने के लिए अलंकार बहोत उपयोगी हैं. कवी जोकि काव्य की रचना करते हैं वे अपने काव्यो को सुंदर रूप प्रदान करने के लिए काव्य में अलंकार का इस्तेमाल करते हैं.

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बहोत सी प्रतियोगी परीक्षा में अलंकार से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं और छात्रो को इनके बारेमे पता होना ही चाहिए. हर भाषा में अलंकार होते हैं जोकि उस भाषा के सौन्दर्य को चार चाँद लगाते हैं. इंग्लिश भाषा में भी अलंकर है जिन्हें figure of speech कहते हैं.

सवाल आता हैं की आखिर वाक्यों की सुंदरता कैसे बढ़ाये? कैसे अलंकार को व्यक्त किया जाता हैं? किसी वाक्य में निर्जीव वस्तु जोकि जीवित नहीं हैं उन्हें भी जीवित प्रस्तुत करके, किसी शब्द को सही जगह प्रस्तुत करके, शब्द युग्मो का प्रयोग करके, किसी चीज़ का भाव बढाकर, किसी की महिमा को सुंदर वर्णों में दिखाकर, किसीकी तुलना करके, वाक्य को एक सुंदर रूप प्रदान किया जाता हैं।

अलंकार के भेद कितने हैं (Alankar ke bhed)

हिंदी व्याकरण में अलंकार के तिन प्रकार हैं. निचे उनके नाम और उनके बारेमे विस्तार से जानकारी दी गयी हैं.

  1. शब्दालंकार
  2. अर्थालंकार
  3. उभयालंकार

शब्दालंकार की परिभाषा (Shabdalankar ki Paribhasha)

जिन वाक्यों में वाक्य की शोभा शब्दों पर निर्भर होती हैं उन्हें शब्दालंकार कहते हैं. ऐसे वाक्यों में से अगर हम किसी महत्वपूर्ण शब्दों को हटा देते हैं तो वाक्य की सुंदरता पर उसका बहोत प्रभाव पड़ता हैं, वो अब उतना सुंदर नहीं रहेगा.

शब्दालंकार में शब्दों का उपयोग करके काव्य या वाक्य में एक चमत्कार उत्पन्न किया जाता हैं.

शब्दालंकार के प्रकार

शब्दालंकार के मुख्यत: तिन प्रकार हैं. इन तिन प्रकार के आलावा भी कुछ और प्रकार हैं पर मुख्य तो तिन ही हैं.

  1. अनुप्रास अलंकार
  2. यमक अलंकार
  3. श्लेष अलंकार

इसके अतिरिक्त पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार, पुनरुक्तावदाभास अलंकार, वीप्सा अलंकार और वक्रोक्ति अलंकार भी शब्दालंकार के प्रकार हैं.

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं (Anupras Alankar Kise Kahate Hain)

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा: इस अलंकार में, वाक्य में किसी वर्ण को बार-बार दोहराया जाता हैं. किसी वाक्य को दोहराने से वाक्य की सुंदरता बढती हैं, और इसे ही अनुप्रास अलंकार कहते हैं.

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण

राम नाम-अवलंब बिनु परमार्थ की आस

मुदित महिपति मंदिर आए । सेवक सचिव सुमंत बुलाए

यमक अलंकार किसे कहते हैं (Yamak Alankar Kise Kahate Hain)

यमक अलंकार की परिभाषा: जिन काव्य में कोई एक ही शब्द बार-बार आये और हर एक बार उसका अर्थ पहले से अलग हो, उसे यमक अलंकार कहते हैं.

यमक अलंकार के उदाहरण

वा खाये बौराए नर, वा पाये बौराये

रति रति सोभा सब रति के शरीर की

ऊपर के वाक्य में रति शब्द बार-बार आता हैं और उनका अर्थ भी अलग हैं, तो इसमे यमक अलंकार हैं.

श्लेष अलंकार किसे कहते हैं (Shlesh Alankar Kise Kahate Hain)

श्लेष अलंकार की परिभाषा: श्लेष अलंकार में एक शब्द का अर्थ अलग-अलग होता हैं. जब किसी काव्य में कोई शब्द ऐसा आता हैं जिसका अर्थ भिन्न-भिन्न हो, तो वहा पर श्लेष अलंकार बनता हैं.

श्लेष अलंकार के उदाहरण

सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|

जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक||

ऊपर दिए गए उदाहरण में, हरी शब्द एक बार आता हैं पर उसके दो अर्थ होते हैं. जिसमे एक अर्थ हैं बन्दर और दूसरा अर्थ हैं भगवान।

तो अब हमने शब्दालंकार के तिन मुख्य प्रकार अनुप्रास अलंकार, यमक अलंकार और श्लेष अलंकार के बारेमे जान लिया हैं. अब बारी आती है अर्थालंकार के बारे में जानने की।

अर्थालंकार किसे कहते हैं (Arthalankar kise kahate hain)

अर्थालंकार की परिभाषा: जहा पर किसी शब्द के अर्थ से काव्य में एक चमत्कार उत्पन्न हो, वहा पर अर्थालंकार होता हैं.

शब्दालंकार में शब्द के जरिये काव्य में चमत्कार होता हैं, वही अर्थालंकार में शब्द के अर्थ से चमत्कार होता हैं. हमें इनके नाम पर से भी पता चलता हैं. चलिए अब जानते हैं की अर्थालंकार कितने प्रकार के होते हैं, और कौनसे अलंकार प्रमुख हैं.

अर्थालंकार के प्रकार
  1. उपमा अलंकार
  2. रूपक अलंकार
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार
  4. अतिशयोक्ति अलंकार

इसके अलावा, संदेह अलंकार, प्रतिप अलंकार, अनन्यव अलंकार, दीपक अलंकार, व्यतिरेक अलंकार, मानवी अलंकार, असंगत अलंकार, इत्यादि भी अर्थालंकार के भेद हैं.

उपमा अलंकार ( upama alankar kise kahate hain)

उपमा अलंकार की व्याख्या: उपमा अलंकार में किसी वस्तु या व्यक्ति की किसी दूसरी वस्तु या व्यक्ति से तुलना की जाती हैं. ‘उपमा’ का अर्थ ही ‘तुलना करना’ हैं.

उपमा अलंकार के अंग

उपमा अलंकार में 4 अंग होते हैं: उपमान, उपमेय, वाचक शब्द, और साधारण धर्म.

उपमान: जिससे उपमा दी जाती हैं मतलब की जिसके साथ तुलना की जाए उसे उपमान कहते हैं.

उपमेय: जिसकी उपमा दी जाए मतलब की जिसकी तुलना की जाए उसे उपमेय कहते हैं.

वाचक शब्द: उपमेय और उपमान के बिच की तुलना को दर्शाने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग होता हैं उन्हें वाचक शब्द कहते हैं.

साधारण धर्म: उपमेय और उपमान की तुलना में सामान क्या हैं वो साधारण धर्म हैं.

जहा पर यह चारो अंग उपस्थित हो उन्हें पूर्णोपमा अलंकार कहते हैं और जहा पर इनमे से अगर कोई एक अंग ना हो, उन्हें लुप्तोपमा अलंकार कहते हैं.

उपमा अलंकार के उदाहरण 

कोटि-कुलिस-सम वचन तुम्हारा.

कर कमल सा कोमल हैं.

ऊपर के उदाहरण में ‘कर’ और ‘कमल’ की तुलना की गयी हैं, इसीलिए यहाँ पर उपमा अलंकार बनता हैं. यहाँ पर, ‘कर’ उपमेय हैं. ‘कमल’ उपमान हैं. ‘सा’ वाचक शब्द हैं. और ‘कोमल’ साधारण धर्म हैं.

रूपक अलंकार (rupak alankar kise kahate hain)

रूपक अलंकार की व्याख्या: काव्य में जहा पर उपमेय में उपमान का आरोप हो, वहा रूपक अलंकार होता हैं. यहाँ पर आरोप का मतलब हैं अभिन्नता, अभेद.

रूपक अलंकार के उदाहरण

चरण-कमल बन्दौं हरिराई।

“यह जीवन क्या है? निर्झर है।”

ऊपर के उदाहरण में जीवन को ही निर्जर घोषित कर दिया हैं. यह एक आरोप सा लगता हैं, इसीलिए यहाँ पर रूपक अलंकार हैं.

ज्यादातर ईन्ही दो अलंकार पे चर्चा की जाती हैं. बाकि की तुलना में यह ज्यादा उपयोग में आता हैं।

अलंकार किसे कहते हैं – अलंकार के भेद, परिभाषा और उदाहरण | alankar kise kahate hain | free notes
अलंकार किसे कहते हैं | alankar kise kahate hain

उभयालंकार की परिभाषा (Ubhayalankar ki Paribhasha)

उभयालंकार की परिभाषा: उभयालंकार में शब्द और शब्द के अर्थ दोनों से काव्य में चमत्कार होता हैं. यहाँ पर दोनों का ही महत्त्व हैं.

उभयालंकार के भेद:

  1. संश्रुष्टि उभयालंकार
  2. संकर उभयालंकार

उभयालंकार के उदाहरण

भूपाते भवनु सुहावा, सुरपति सदनु न परतर पावा।

कजरारी अन्खीयान में कजरारी न लखाय

देखिये, शब्दालंकार में शब्द से काव्य में चमत्कार होता हैं, अर्थालंकार में अर्थ से काव्य में चमत्कार होता हैं और उभयालंकार में शब्द तथा अर्थ दोनों से काव्य में चमत्कार होता हैं. आप इसे याद रखियेगा.

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निष्कर्ष :- इस लेख में आपने जाना अलंकार किसे कहते है (Pratyay Kise Kahate Hain) अलंकार के भेद और अलंकार की परिभाषा तथा अलंकार के उदाहरण के बारे में जाना। उम्मीद है यह लेख पसंद आया होगा ऐसी जानकारी के लिये यहां विजिट करते रहें। EBook download करें।

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