समाजीकरण | Socialization | समाजीकरण का महत्व एवं अवस्थाएं

समाजीकरण (socialization) : समाजिकरण एक प्रक्रिया है जो बच्चा समाज में रहकर ग्रहण करता है। इसमें उसका परिवार, विद्यालय, शिक्षक, दोस्त एवं उसका समाजिक वातावरण सहयोगी होता है। आज के लेख में आप समाजीकरण का महत्व जानेंगे, समाजीकरण क्या है इसके बारे में पहले पोस्ट की जा चुकी है और Chandra Institute Notes यूट्यूब चैनल पर इसकी class भी आप देख सकते हैं। आईये जानते हैं

 

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समाजिकरण क्या है | समाजिकरण का अर्थ एवं परिभाषा

समाजीकरण एक प्रक्रिया है इसके द्वारा व्यक्ति समाज और संस्कृति के बीच में रहकर विभिन्न साधनों के माध्यम से सामाजिक गुणों को सीखता हैं, अतः इसे सीखने की प्रक्रिया कहते हैं।

 

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समाजीकरण का महत्व क्या है | Samajikaran ka Mahatva | Socialization

भाषा (language) : व्यक्ति समाज और संस्कृति के बीच रहकर भाषा के द्वारा आसानी से उन तमाम पहलुओं को समझता है तथा आपस में ताल मेल बनाता है।

परिवार (Family) : समाजीकरण में परिवार की भूमिका अहम होती है। दूसरे शब्दों में कहे तो बालक परिवार तथा पड़ोस के लोगों को जिस प्रकार का व्यवहार करते हुए देखता है, उसी प्रकार का अनुकरण करने लगता है। इसमें रिश्तेदार, दोस्त और परिवार में माता पिता, भाई बहन, चाचा चाची, दादा दादी आदि लोगों के द्वारा बच्चा अनुशासन सीखता है। माता पिता से संस्कार और व्यवहार परिलक्षित होते हैं।

विद्यालय (School) : परिवार के बाद बच्चों के विद्यालय का योगदान महत्वपूर्ण होता है। इसमें बच्चे का विकास विद्यालयी वातावरण और शिक्षक के व्यवहार पर निर्भर होता है ऐसा इसीलिए होता है यहां अध्यापक ही शिक्षा के द्वारा बच्चे में वे सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्य पैदा करता है, जो समाज एवं संस्कृति में भी मान्य होते हैं। स्कूल में खेल प्रक्रिया द्वारा बच्चे सहयोग , अनुशासन एवं सामूहिक कार्य आदि सीखते हैं। इसलिए विद्यालय का वातावरण और उसके दोस्त कैसे हैं। इनसे बच्चा प्रभावित होता है।

उत्सव (त्यौहार) : बच्चे के समाजिक (socialization) विकास में त्यौहार भी महत्व रखते हैं क्योंकि जिस प्रकार के उत्सव वह मनाता है उसी को फॉलो भी करता है और बड़ा होकर उसी प्रकार से व्यवहार करता है।

इसके अलावा उसका बौद्धिक विकास एवं संवेगो का विकास भी इसमें महत्वपूर्ण होता है।

 

 

आप जानेंगे –

  • समाजीकरण क्या है (Samajikaran Kya Hai)
  • समाजीकरण का अर्थ (Samajikaran ka Arth)
  • समाजीकरण की परिभाषा (Smajikaran ki Paribhasha)
  • समाजीकरण का उद्देश्य (Samajikaran ka Uddeshya)
  • समाजीकरण के स्तर (Smajikaran ke Stage)
  • समाजीकरण का निष्कर्ष (Samajikaran ka Nishkarsh)
  • समाजीकरण के प्रकार (Types of Socialization)

 

इसे भी पढ़ें…..

समाजीकरण के स्तर (Stages of Socialization)

  • मौखिक अवस्था (Oral Stage)
  • शैशव अवस्था (Anal Stage)
  • तादात्मीकरण की अवस्था (Identification Stage)
  • किशोरावस्था (Adolescene Stage)
  • वयस्क अवस्था (Adult hood)
  • वृद्धावस्था (Old Age)

मौखिक अवस्था (Oral Stage)

इसे मौखिक अवस्था इसीलिए कहा जाता है क्योंकि बच्चा जब माँ के गर्भ से बाहर आता है तो उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे गिलापन, भूख लगने पर चिलाना यानि अपनी सारी समस्याओं को बच्चा रोकर या मुख के हावभाव से प्रकट करता है। वह अपनी माँ के अलावा अभी किसी को नहीं जान पाता है इसलिए माँ को देखकर हाथों से इशारा करता है।

समाजिकरण | samajikaran | socialization
समाजिकरण | samajikaran | socialization

 

शैशव अवस्था (Anal Stage)

इस अवस्था में माता की दोहरी भूमिका होती है एक तरफ परिवार को संभालती है तो एक तरफ बच्चे की देखरेख करती है। इसमें बच्चा थोड़ा बहुत स्थान के बारे में जानने लगता है और अब ठीक से परिवार के लोगों को पहचानने लगता है।

तादात्मीकरण की अवस्था (Identification Stage)

यह 4 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक का समय होता है जब बच्चा अलग अलग प्रकार की चीजे सीखता है इसमें वह खेल कूद भी करना सीख जाता है। और इस अवस्था में उसे यौनशिक्षा के बारे में जानकारी नहीं होती है भले ही वह शारीरिक विभिन्नताओं को देखता है लेकिन अन्तर नहीं कर पाता हैं किन्तु आगे चलकर उसे ज्ञात होने लगता है।

किशोरावस्था (Adolescene Stage)

यह 13 वर्ष से 18 वर्ष तक का समय होता है। इसमें बच्चा अपने माता पिता से स्वतंत्र रहना चाहते हैं और इसमें बच्चे में शारीरिक विभिन्नता होती है इस कारण उनमें हार्मोन बदलने लगता है। इस अवस्था को स्टेनले हाल ने तनाव एवं तूफान की अवस्था कहा है।

वयस्क अवस्था (Adult hood)

इसमें वह समाज में अलग स्थान में रहना पसंद करता है। इस अवस्था में उसकी शादी और बच्चे होते हैं तो उसके अन्दर माता पिता बनने के गुण विकसित हो जाते हैं तथा एक वयस्क व्यक्ति होता है। यह अवस्था उसके लिये संघर्ष की अवस्था होती है जिसमें वह अपने पिता या माता बनने की जिम्मेदारी को निभाता है। इसमें सामजिक उत्तर दायित्व अधिक होते हैं।

वृद्धावस्था (Old Age)

इसमें व्यक्ति अब दादा, दादी, नाना नानी, ससुर, सास आदि के गुण आ जाते हैं क्योंकि अब उसकी उम्र 40 वर्ष से अधिक की होती है। इस प्रकार उसके बुद्धि, शारीरिक रूप में परिवर्तन आदि होते हैं। इस प्रकार व्यक्ति का समाजिक विकास जीवन पर्यन्त चलता ही रहता है।

समाजिकरण का निष्कर्ष

समाजीकरण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास होता है और वह सामाजिक प्राणी बनता है। इस प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति समाज और संस्कृति के बीच रहकर विभिन्न साधनों के माध्यम से सामाजिक गुणों को अनुकरण करके सीखता है। अतः इसे सीखने की प्रक्रिया भी कहा जा सकता है।

 

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उम्मीद है सामाजीकरण क्या है (Socialization in Hindi) , समाजिकरण की परिभाषा, समाजिकरण का अर्थ, समाजिकरण का महत्व सभी पॉइंट क्लियर हो गए होंगे.

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